भारत मे सबसे बड़ा रोप-वे अब गिरनार मे

         

भारत मे सबसे बड़ा रोप-वे अब गिरनार मे ओर एसिया का सबसे ऊचा भी हे। जूनागढ़ का गिरनार रोप-वे मंदिर तक विश्व मे अब तक का सबसे लंबा रोप-वे था। 2007 मे मुख्यमंत्री के रूप मे इस रोप-वे का शीलान्यास किया था। 2.32 किलोमीटर वाले इस रोप-वे को एशया का सबसे उचा रोप-वे माना जा रहा हे।

एशिया की सब से बड़ी रोप-वे
एशिया की सब से बड़ी रोप-वे-

बताया जा रहा हे की रोप-वे के आने से लोगो की संखया दुगनी हो गई हे। यह 130 करोड़ के प्रोजेकट की परिकल्पना 1958 मे राजरत्न कालिदास शेठ ने की थी। हाला की कई अडचनो के बाद इसका शीलान्यास 2007 मे किया गया ओर अब 13 साल के बाद बनकर तेयार हे।

अम्बा माता के मंदिर मे पहोच ने मे अब सिर्फ 8 ही मिनिट लगे गे

गिरनार के ऊपर भगवान द्तात्रेय के दर्शन के लिए 10 हजार से भी अधिक सिडिया चढ़कर जाना पड़ता था। अब वहा तक बुजुर्गो,बचे को वहा तक जाने मे परेशानी न होगी क्योकि अब रोप-वे से भी जा सकते हे। साडे पाच हजार सीडी  चड्ने के बाद अंबा माता का दर्शन करने के लिए दो से तीन खंटे लग जाते थे ओर अब रोप-वे के अनुसार से सिर्फ 8 ही मिनिट लगेंगे ओर यह गर्व की बात हे भारत के लिए।

पर रोप-वे मे सिर्फ 8 ही ट्रॉली की सुविधा हे। प्रत्यक ट्रोली मे सिर्फ 8 लोग रहेंगे। इस ट्रॉली से अब 1 खंटे मे 800 लोग आ जा सकते हे। रोप-वे के लिए अलग-अलग ऊचाई के नो पिलर के बीच हे। छटे पिलर की ऊचाई 66 मीटर से भी ज्यादा हे।

प्रतिसाल लाखो की संखया मे जूनागढ़ आने वाले पर्यटको के लिए यह रोप-वे नया ही नजारा बनेगा। रोप-वे के माध्याम से गिरनार के जंगलो को देख ने की जोभी

पर्यटक आएगे उसको बड़ाही मजेदार चीजे देखने को मिलने वाली हे ओर बहुत ही मजा आने वाला हे पर्यटको को ओर इसे उध्योग को भी जानने को मिले गा।

1863 मे स्थापित,जूनागढ़ का सकरबाग प्राणी ऊधान,जिसे सकरबाग चिड़ियाधर के रूप मे भी जाना हे। आकार मे लगभग 200 हेक्टर (490 एकड़) हे। चिड़ियाधर भारत मे गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति बंदी प्रजनन कार्यक्रमों के लिए विशुद्ध एशियाई शेर उपलब्ध करता हे। यह देश का एकमात्र चिड़ियाधर हे जो अफ्रीकी चीता को धर देता हे। (४६) चिड़ियाधर मे प्राकृतिक इतिहास का संगरालय भी हे।

जूनागढ़ के कई शासक राजवंशो जेसे बाबीनवाब,मोर्या,विलाबी,चुडासमा,गुजरात सुल्तान ओर इसके धार्मिक समूहो ने जूनागढ़ की स्थाप्तय शेली को प्रभावित किया हे। जूनागढ़ के पूर्व मे लगभग 2 किलोमीटर (1.2) ओर गिरनार हिल से 3 किलोमीटर (1.9) पश्चिम मे सम्राट अशोक का एक चित्रण हे। जो एक असमान चट्टान पर खुदा हुआ हे ओर शताब्धि ईसा पूर्व से डेटिंग कर रहा हे।

चट्टान मे सात मीटर (23 फिट) की परिधि,दस मीटर (33 फिट) कि उचाई, ओर एक लोहे की कलम से उकेरी गई ब्राहम्ही लिपि मे शीलालेखा हे। जूनागढ़ के लोग ऊतर ओर भारतीय दोनों त्योहार मनाते हे। दिवाली,महा शिवरात्रि , होली,मुहर्म,नवराती,क्रिसमस्त,गूडफ्राइडे,दशरा,मुहरं,ओर गणेश चतुर्थी शहर मे कुछ लोकप्रिय त्योहार हे ।

भारत के विभाजन 1947 मे की निरवासन मे हुई नवाब मुहम्मद, जो जूनागढ़ के अंतिम शासक नवाब था। नवाब,मुस्लिम होने के नाते,राज्य को नव निर्मित मुस्लिम बहूसख्यक पाकिस्तान का हिस्सा धोषित करने के पक्ष मे थे। हालाकी जवाहारनेहरू पहले भारत मे बबेरियावाड की रियासत की पहुच की वेधता स्थापित करने की प्रतिक्षा कर रहे हे। भारतीय सेना ने आखिरकार नवंबर 1947 मे बाबरियावाड मे प्रवेश किया ओर आगे के आदेशो के लिए जूनागढ़ ओर माँगरोल की सीमाओ पर अलर्ट पर खड़ी रही। अपने निर्वसान के बाद,वह पाकिस्तान मे बस गए ओर जूनागढ़ परिवार कराची,पाकिस्तान मे जूनागढ़ हाउस मे रहता हे।

भारतीय प्रशासन के तहत एक साल के बाद भारत सरकार ने एक जनमत संग्रह आयोजन किया जिसमे राज्य के लोगो को भारत का हिस्सा बनने के लिए सहमत होने के लिए कहा गया।     

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