Greta Thunberg Toolkit Exposed: यू-ट्यूब पर उपलब्ध स्ट्रिंग (String) नाम का चैनल न सिर्फ मोदी सरकार के हलफनामे को सच की तरह पेश करता है, बल्कि साफ-साफ इशारा करता है कि भारत को बर्बाद करने के लिए कुछ ताकतें तन-मन-धन से सक्रिय हैं. इनमें कुछ ‘जयचंद’ भी शामिल हो गए हैं.
Greta Thunberg Toolkit Exposed:
मोदी सरकार के कृषि कानून (Farm Laws) लागू होने के महीनों बाद शुरू हुए किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार (Modi Government) का यही पक्ष रहा है कि किसान नेता बातचीत करें, क्योंकि ये कानून न सिर्फ समय की जरूरत हैं, बल्कि उनके पक्ष में भी हैं. यह अलग बात है कि किसान नेताओं के अड़े रहने के चलते आंदोलन अभी भी खत्म हुआ नहीं कहा जा सकता है. इसी बीच मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक जा पहुंचता है, जहां केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा भी दिया जाता है कि किसान आंदोलन में कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें शामिल हैं, जो इसकी आड़ में अपना हित साधने की कोशिश कर रही हैं. उस वक्त कांग्रेस समेत समग्र विपक्ष और मोदी सरकार के कट्टर आलोचकों, कुछ पत्रकारों समेत, ने यह कहने में देर नहीं लगाई कि जो भी शख्स या काम मोदी सरकार के विरोध में होता है, उसमें ‘राष्ट्र विरोधी तड़का’ लग ही जाता है. हालांकि सोशल मीडिया के इस दौर में यू-ट्यूब पर उपलब्ध ‘स्ट्रिंग’ (String) नाम का चैनल न सिर्फ मोदी सरकार के हलफनामे को सच की तरह पेश करता है, बल्कि साफ-साफ इशारा करता है कि भारत को बर्बाद करने के लिए कुछ ताकतें तन-मन-धन से सक्रिय हैं. इनमें कुछ ‘जयचंद’ भी शामिल हो गए हैं.
ग्रेटा थनबर्ग के पहले से थी तैयारी
चैनल ‘स्ट्रिंग’ के इस एपिसोड का नाम अरेस्ट राठी, जुबेर, बरखा समेत ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) एक्सपोज्ड है. इसकी शुरुआत में ही कांग्रेस के प्रबल समर्थक साकेत गोखले, बरखा दत्त, ध्रुव राठी और मोहम्मद जुबैर का नाम लेकर ‘स्ट्रिंग’ के कर्ताधर्ता दावा करते हैं कि इस एपिसोड में वह जो कुछ सामने लाएंगे, उसके बाद उनकी जान को खतरा हो सकता है. इसमें वह मोदी सरकार से भी आग्रह करते हैं कि वह एपिसोड में किए जा रहे खुलासे के बाद संबंधित लोगों को गिरफ्तार कर भारत देश को बचाने में देर नहीं करें. इस एपिसोड की शुरुआत ग्रेटा थनबर्ग की शेयर की गई टूल किट और उसके समय यानी 3 फरवरी शाम 5.19 दिखाते हैं. इसके बाद ‘स्ट्रिंग’ बताता है कि कैसे कारवां, स्क्रॉल, परी, द वायर, द न्यूज मिनट, एल्ट न्यूज समेत कई ऑनलाइन पोर्टल इस पर एक या 2 फरवरी को ही ट्वीट कर चुके होते हैं. ‘स्ट्रिंग’ के लिहाज से यह पहला सबूत है कि ग्रेटा थनबर्ग की टूल किट शेयर से पहले इनके पास न सिर्फ टूल किट थी, बल्कि इसके जरिये इन सभी का मकसद चंदा जुटाना था.
डिजीपब की भूमिका संदिग्ध
इसके बाद ‘स्ट्रिंग’ में सिलसिलेवार ढंग से बताते हैं कि किसानों के समर्थन में टूल किट शेय़र करने के आग्रह से कहीं पहले भारत को बदनाम और बर्बाद करने की साजिश रची जा चुकी थी. इसके पक्ष में वह डिजीपब न्यूज इंडिया फॉउंडेशन की प्रेस रिलीज की बात सामने आती है, जो 27 अक्टूबर 2020 की है. यानी किसान आंदोलन से कई महीने पहले से ऐसी साजिश रची जा रही थी. खास बात यह है कि डिजीपब के साथ जो-जो नाम जुड़े हैं, उनका संबंध कहीं न कहीं ग्रेटा थनबर्ग की ओर से शेयर की गई टूल किट से भी जुड़ता है. मसलन मोहम्मद जुबैर समेत बरखा दत्त के नाम ग्रेटा ने अपने संदेश में बकायदा डाले हुए हैं.
डिजीपब (DIGIPUB) के संस्थापक सिरे से मोदी विरोधी
यही नहीं, डिजीपब फॉउंडेशन (DIGIPUB) के संस्थापक सदस्यों में जिनके नाम हैं, वे पोर्टल मोदी सरकार के विरोध में लेख प्रकाशित करने के लिए ही जाने जाते हैं. इनमें भी द वायर, एल्ट न्यूज, क्विंट, न्यूज मिनट, न्यूज लांड्री, स्क्रॉल, कोबरा पोस्ट, आर्टिकल 14, बूम लाइव जैसे नाम शामिल हैं. ये सभी वे पोर्टल हैं जिन्होंने ग्रेटा थनबर्ग से कहीं पहले किसान आंदोलन के पक्ष में टूल किट शेयर की थी. डिजीपब के पदाधिकारियों में भी वे नाम शामिल हैं, जो मोदी सरकार के विरोध में खुलकर रहते हैं. यानी किसी बड़ी ताकत के निमंत्रण पर मोदी सरकार के लिए यह सब एक माहौल बनाने का काम कर रहे हैं
अमेरिका का जॉर्ज सोरस मुहैया करा रहा धन!
इसके बाद ‘स्ट्रिंग’ में एनालिसी मैरिली का नाम का जिक्र आता है, जो न सिर्फ मोदी सरकार का तानाशाह बताने वाले जॉज सोरस के लिए काम करती है. एनालिसी मैरिली के ट्विटर अकाउंट और पिनट्रस्ट फॉलोअर्स का जिक्र कर ‘स्ट्रिंग’ यह स्थापित करने की कोशिश करता है कि उसके मोदी विरोधी अपडेट्स को पैसे देकर बूस्ट किया जाता है. यही नहीं एनालिसी को राहुल गांधी का प्रशंसक भी करार देते है ‘स्ट्रिंग’. जिसने उनकी वायनाड रैली को कवर किया था. इसके साथ ही लिंक्स से पता चलता है कि साकेत गोखले भी इस पूरे घटनाक्रम से न सिर्फ वाकिफ थे, बल्कि उन्होंने भी मोदी सरकार को किसान आंदोलन के नाम पर बदनाम करने के लिए हर धतकर्म किए. जॉर्ज सोरस के विरोध में कुछ ऐसे साक्ष्य भी ‘स्ट्रिंग’ में सामने आते हैं, जो बताते हैं कि मोदी विरोधी प्लेटफॉर्म्स को वैरीफाई कराने के लिए संपर्कों और धनबल का इस्तेमाल किया गया
पूरी साजिश का इटली कनेक्शन…
एक रोचक संय़ोग की ओर इशारा किया जाता है. पूरे एपिसोड में एनवायसी, बर्गामो औऱ दिल्ली का नाम आता है. एनवायसी यानी न्यूयॉर्क अमेरिका में जहां जॉज सोरस बैठकर मोदी सरकार की तानाशाही को उखाड़ फेंकने के लिए करोड़ों डॉलर खर्च करने को तैयार बैठे हैं. यही जॉर्ज क्वॉड मीडिया यानी एनालिसी मैरिली के घर को फंड देते हैं. दिल्ली यानी जहां मोदी सरकार काबिज है और जहां किसान आंदोलन चल रहा है. बर्गामो यानी इटली का एक शहर, जहां राहुल गांधी अक्सर आते-जाते रहते हैं. ‘स्ट्रिंग’ साफ-साफ इशारा करता है कि किसान आंदोलन से पहले अक्टूबर में भी राहुल गांधी इसी शहर गए थे. इस एपिसोड में ‘स्ट्रिंग’ में सचिन तेंदुलकर का भी नाम आता है, जिन्हें अपना पक्ष रखने में खास मुहिम के तहत निशाना बनाया जाता है. अब ‘स्ट्रिंग’ के शब्दों के अनुसार ये सारे तथ्य एक सोची-समझी साजिश का इशारा कर रहे हैं, जिसकी जड़ में मोदी सरकार को जाना ही होगा.
यू-ट्यूब ने वीडियो हटाया
एक रोचक बात यह है कि यू-ट्यूब पर वीडियो बुधवार को जारी हुआ था. गुरुवार सुबह तक इसे 6 लाख से अधिक लोग देख चुके थे. हालांकि इस वीडियो की बढ़ती लोकप्रियता और तेजी से बढ़ते शेयर के बाद यू-ट्यूब ने इस वीडियो को लिंक से हटा दिया है. इस फेर में यूट्यूब ने सफाई दी है कि यह वीडियो उसकी नीतियों के अनुकूल नहीं है और यह उत्पीड़न और बुलीइंग करता है. ऐसे में इसे हटाया जा रहा है.