ट्विटर की मेड इन इंडिया ‘कू एप’ से टक्कर, जानिए इस एप के बारे में सबकुछ

भारत में विदेशी सोशल मीडिया एप्स के विकल्प की तलाश लंबे समय से चल रही है, हालांकि अभी यह तलाश जारी है। माइक्रोब्लॉगिंग साइट के विकल्प के तौर पर पिछले साल tooter नाम से एक वेबसाइट लॉन्च हुई और अब Koo App ट्विटर के विकल्प के तौर पर तहलका मचा रहा है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और रविशंकर प्रसाद ने भी कू एप पर अपना अकाउंट बना लिया है। बता दें कि कू ने आत्मनिर्भर भारत एप्लीकेशन चैलेंज में भी हिस्सा लिया था। Koo एप की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में भी कर चुके हैं।

क्या है Koo App? 
वैसे तो आपमें से कई लोग Koo एप के बारे में जानते होंगे लेकिन कई लोग अभी इससे अनजान हैं। Koo एक माइक्रोब्लॉगिंग साइट है जिसे ट्विटर की टक्कर में पेश किया गया है। सीधे शब्दों में कहें तो Koo एक मेड इन इंडिया ट्विटर है। यह हिंदी, अंग्रेजी समेत आठ भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। Koo को एप और वेबसाइट दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका भी इंटरफेस ट्विटर जैसा ही है। इसमें शब्दों की सीमा 350 है

30 करोड़ की फंडिंग
बता दें कि इसी सप्ताह कू ने अपनी सीरीज ए फंडिंग के हिस्से के रूप में 30 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह फंडिंग इंफोसिस के मोहनदास पाई की 3one4 कैपिटल की ओर से हुई है। इससे पहले कू को ऐक्सेल पार्ट्नर्ज, कालारी कैपिटल, ब्लूम वेंचर्ज और ड्रीम इंक्युबेटर से भी फंडिंग मिली है। कू के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण हैं।

Twitter के साथ भारत सरकार का टकराव
बता दें कि पिछले कई दिनों से ट्विटर और भारत सरकार के बीच टकराव चल रहा है। हाल ही में ट्विटर इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर (इंडिया एवं साउथ एशिया) महिमा कौल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वैसे तो महिमा कौल ने कहा है कि वह निजी कारणों से इस्तीफा दे रही हैं लेकिन हाल ही में सरकार के साथ ट्विटर के टकराव को भी महिमा के इस्तीफे से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले सप्ताह ही सरकार ने ट्विटर से नियमों को तोड़ने को लेकर जवाब मांगा था और सप्ताह के अंत तक महिमा ने इस्तीफा दे दिया।

महिमा कौल के इस्तीफे के बाद सरकार की ओर से पाकिस्तान और खालिस्तान के कथित समर्थकों के 1,178 आकउंट बंद करने का आदेश दिया था। सरकार ने ट्विटर को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वह निर्देशों का अनुपालन नहीं करती तो संबंधित धाराओं के तहत जुर्माना या सात साल की जेल हो सकती है।  इस नोटिस पर ट्विटर ने कहा है कि वह सरकार के साथ बात करना चाहता है। ट्विटर ने यह भी कहा है कि कर्मचारियों की सुरक्षा उसकी पहली प्राथमिकता है।

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